Ridima Hotwani

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लेखनी कहानी -16-Feb-2022

लेखनी # दैनिक काव्य कविता प्रतियोगिता#


विषय:: मुक्त विषय
शीर्षक:: वियोग-संयोग


वियोग-संयोग
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पुकारे जब कभी सुरमयी शाम
घेरे जब कोई याद हमारे नाम
चले आना बेहिचक भूले-बिसरे वादे थाम

कि चले गये जब रुठ कर तुम
बीता एक-एक पल जाने कितने युग सम
भरे रहे नैन हरदम अवयस्क-अश्रुओं संग

कि हर ढलती शाम अधिंयारी-दूरियां
ज्यूं-ज्यूं बढ़ती रहीं,,पिघलती मोमबत्तियां भी
बुझन-ए-कगार करीब पहुंचती रहीं

दीया मन का फिर भी जलता रहा
लौटोगे अवश्य अदृश्यी सबल-ए-विश्वास
मन-अंतस किसी कोने में इत्मीनान भरता रहा

देखो लौं विश्वास की किस कदर मुखर हो
फफक रही है,, वो बिछड़ी आकृति शनै:-शने:
करीब-समीप हमारे बढ़ती बढ़ रही है

लो आ गये तुम,, मुस्कान हमारी आंलिगन-बद्धता
को   तड़प-तड़प   तड़पती  तरस  रही  है
बोलो ना तो फिर अब देर किस बात की है

वियोग की घड़ी अब संयोग आनंद में ढलती सी तब्दील रही है।।
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#प्रतियोगिता# # दैनिक काव्य प्रतियोगिता हेतु#
मेरी प्रविष्टी।
🙏🙏 रिदिमा होतवानी 🙏🙏








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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

17-Feb-2022 05:54 PM

बहुत खूबसूरत

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सुंदर

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Ridima Hotwani

17-Feb-2022 08:06 AM

आभार आपका सर 🙏

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Ekta shrivastava

16-Feb-2022 11:46 PM

So beautiful

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Ridima Hotwani

17-Feb-2022 08:07 AM

😊💓🙏 Thankyou ji

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